आफिस के एक बड़े साहब
मोम की गुडिया, जहर की पुडिया।
बुदापे का दर्द सालता है
अपने मूछों को हटा डालता है।
उम्र की दर से डरा यह आदमी
दूर करने अपनी अंदरूनी कमी,
सफ़ेद मुसली की जड़ मंगाता है
छोटी सी कली कोट में लगता है
हर किसी को मटुक और जुली का पाठ पढाता।
रंग बिरंगे कपड़ों में घूमते साहब की
आफिस में अलग ही शान है
हर अदा में नफासत है
खुद को कैसे साबित करें
इसका भी अच्छा ज्ञान है।
हुजूर कई पेशे की रोटी खा चुके हैं
जगह-जगह अपना हाथ आजमा चुके हैं
नहीं दल कहीं गली, प्रवचन करने लगे
अपनी वाणी से लोगों को मोहने लगे।
किसी ने कहा मीडिया में मूर्ख भरे हैं
आप यहाँ प्रवचन के फेर में पड़े हैं
आप की असल जरुरत वहां है
आप जैसा कोई दूसरा कहाँ है।
यहाँ आते ही जादू चला चला दिया
लोगों से ज्ञान का लोहा मना लिया
बाइट काटने की जरुरत पड़ी
टेप पर ही कैंची चला दिया।
बाद में कैंची का महत्व समझने लगे
गीता और कैंची साथ-साथ रखने लगे
जब किसी ने ज्ञान पर संदेह किया
कैंची चलाकर उसका पत्ता साफ कर दिया।
हुजूर की फितरत पुरानी है
पीछे भी एक लम्बी कहानी है
जहाँ जहाँ गए जलवा दिखाते रहे
जिसकी गोद में बैठे उसे मूंडा,
जिस नव पर चढ़े उसे डुबाते रहे।
हुजूर अपमान की घूंट पीते हैं
बेशर्मी की चादर में लिपटे
शानदार जिंदगी जीते हैं
मौका मिलते ही धीरे से
करैत की तरह डस लेते ।
( यह किसी एक हुजुर की कहानी नहीं है )
हर हाउस में ऐसे हुजूर पलते हैं
उनकी डर से हर आदमी
दहशत के साये में जीता है
कुछ कर दिखाने का सपना
दिल में ही मर जाता है।।
मोम की गुडिया, जहर की पुडिया।
बुदापे का दर्द सालता है
अपने मूछों को हटा डालता है।
उम्र की दर से डरा यह आदमी
दूर करने अपनी अंदरूनी कमी,
सफ़ेद मुसली की जड़ मंगाता है
छोटी सी कली कोट में लगता है
हर किसी को मटुक और जुली का पाठ पढाता।
रंग बिरंगे कपड़ों में घूमते साहब की
आफिस में अलग ही शान है
हर अदा में नफासत है
खुद को कैसे साबित करें
इसका भी अच्छा ज्ञान है।
हुजूर कई पेशे की रोटी खा चुके हैं
जगह-जगह अपना हाथ आजमा चुके हैं
नहीं दल कहीं गली, प्रवचन करने लगे
अपनी वाणी से लोगों को मोहने लगे।
किसी ने कहा मीडिया में मूर्ख भरे हैं
आप यहाँ प्रवचन के फेर में पड़े हैं
आप की असल जरुरत वहां है
आप जैसा कोई दूसरा कहाँ है।
यहाँ आते ही जादू चला चला दिया
लोगों से ज्ञान का लोहा मना लिया
बाइट काटने की जरुरत पड़ी
टेप पर ही कैंची चला दिया।
बाद में कैंची का महत्व समझने लगे
गीता और कैंची साथ-साथ रखने लगे
जब किसी ने ज्ञान पर संदेह किया
कैंची चलाकर उसका पत्ता साफ कर दिया।
हुजूर की फितरत पुरानी है
पीछे भी एक लम्बी कहानी है
जहाँ जहाँ गए जलवा दिखाते रहे
जिसकी गोद में बैठे उसे मूंडा,
जिस नव पर चढ़े उसे डुबाते रहे।
हुजूर अपमान की घूंट पीते हैं
बेशर्मी की चादर में लिपटे
शानदार जिंदगी जीते हैं
मौका मिलते ही धीरे से
करैत की तरह डस लेते ।
( यह किसी एक हुजुर की कहानी नहीं है )
हर हाउस में ऐसे हुजूर पलते हैं
उनकी डर से हर आदमी
दहशत के साये में जीता है
कुछ कर दिखाने का सपना
दिल में ही मर जाता है।।
ब्लॉग जगत में स्वागत है.......
ReplyDeleteस्वागत है आपका....
ReplyDeleteशुभकामनायें
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
आपने तो बॉस को सही खींच दिया :)
ReplyDeleteहिंदी ब्लोगिंग में आपका स्वागत है ! मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं !
बॉस को लताडती......बहुत सुन्दर .....
ReplyDeleteGood One..Congratulations
ReplyDeleteक़ृषि विज्ञान केन्द्र देखें
लाईफमज़ेदार् देखें
इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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